Shree Hari
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Audio – Hindi |
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गीता-दर्पण |
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७-३०-२२ |
२५. गीतामें जीवकी गतियाँ |
भाग-1 |
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७-३१-२२ |
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भाग-2 |
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१-८-२२ |
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भाग-3 |
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२-८-२२ |
२६. गीतामें मनुष्यकी श्रेणियाँ |
भाग-1 |
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३-८-२२ |
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भाग-2 |
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४-८-२२ |
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भाग-3 |
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५-८-२ |
२७. गीतामें श्रद्धा |
भाग-1 |
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६-८-२२ |
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भाग-2 |
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७-८-२२ |
२८. गीतामें देवताओंकी उपासना |
भाग-1 |
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८-८-२२ |
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भाग-2 |
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९-८-२२ |
२९. गीतामें प्राणिमात्रके प्रति हितका भाव |
भाग-1 |
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१०-८-२२ |
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भाग-2 |
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११-८-२२ |
३०. गीतामें एक निश्चयकी महिमा |
भाग-1 |
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१२-८-२२ |
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भाग-2 |
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१३-८-२२ |
३१. गीतामें द्विविध सत्ताका वर्णन |
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१४-८-२२ |
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सतचर्चा ब्लॉगमें अब ऑडियो भी उपलभ्ध है ! |
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३०. गीतामें निश्चय की महिमा |
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३१. गीतामें द्विविध सत्ताका वर्णन |
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१५-८-२२ |
३२. गीतामें द्विविधा इच्छा |
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३३. गीतामें त्रिविध चक्षु |
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गीतामें त्रिविध रतियाँ |
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गीतामें विविध विद्याएँ |
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३४. गीतामें.परमात्मा और जीवात्माका स्वरूप |
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३५. गीतामें सत्, चित् और आनन्द |
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३६. गीतामें अष्टांगयोगका वर्णन |
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३७. गीतामें भक्तियोगकी मुख्यता |
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३८. गीताका आरम्भ और पर्यवसान शरणागतिमें |
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३९. गीतामें आश्रयका वर्णन |
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गीतामें भगवान्का आश्वासन |
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गीतामें सगुणोपासनाके नौ प्रकार |
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गीतामें साधकोंकी दो दृष्टियाँ |
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गीतामें साधकोंकी दो दृष्टियाँ |
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गीताका गोपनीय विषय |
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१७-८-२२ |
गीतामें साधकोंकी दो दृष्टियाँ |
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१७-८-२२ |
गीतामें साध्य और साधनकी सुगमता |
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१७-८-२२ |
गीतामें सर्वश्रेष्ठ साधन |
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गीतामें प्रवृत्ति और निवृत्तिपरक साधन |
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१६-८-२२ |
गीतामें सिद्धोंके लक्षण |
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गीतामें भगवान् और महापुरुषका साधर्म्य |
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१६-८-२२ |
३३. गीतामें त्रिविध चक्षु |
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गीतामें आहारिका वर्णन |
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३७-गीतामें विविध आज्ञाएँ |
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३८ |
गीतामें विभिन्न मान्यताएँ |
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३९ |
गीतामें स्वाभाविक और नये परिवर्तनका वर्णन |
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४०-गीतामें स्वभावका वर्णन |
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४१-गीतामें दैवी और आसुरी सम्पत्ति |
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४२- गीताका योग |
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४३-गीतोक्त योगके सब अधिकारी |
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४४-गीतामें तीनों योगोंकी समानता |
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४५-गीतामें तीनों योगोंकी महत्ता |
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४६-गीतामें योग और भोग |
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४७-गीतामें बन्ध और मोक्षका स्वरूप |
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४८-गीतामें समता |
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४९-गीतामें क्रिया, कर्म और भाव |
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५०-गीतामें कर्मकी व्यापकता |
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५१ - गीतामें 'यज्ञ' शब्दकी व्यापकता |
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५२ - गीतामें लोकसंग्रह |
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५३-गीतोक्त प्रवृत्ति और आरम्भ |
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५४-गीतामें त्यागका स्वरूप |
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५५-गीतामें निर्द्वन्द्व होनेकी महत्ता |
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५६-गीतामें अहंता-ममताका त्याग |
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५७-गीतामें कर्तृत्व-भोक्तृत्वका निषेध |
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५८-गीतामें गुणोंका वर्णन |
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५९-गीतामें परमात्मा और जीवात्माका स्वरूप |
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६०-गीतामें ईश्वर और जीवात्माकी स्वतन्त्रता .. |
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८५-गीतामें आय |
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८६-गीतामें आये समान चरणोंका तात्पर्य |
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८७-गीतामें आये समानार्थक पदोंका तात्पर्य |
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८८-गीतामें आये पुनरुक्त समानार्थक वाक्योंका तात्पर्य |
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८९-गीतामें आये विपरीत क्रमका तात्पर्य |
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९०- गीतामें आये 'मत्तः' पदका तात्पर्य |
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९१-गीतामें आये 'अवशः' पदका तात्पर्य |
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९२ - गीतामें आये 'तत्त्वतः' पदका तात्पर्य |
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९३-गीतामें 'यत्' शब्दके दो बार प्रयोगका तात्पर्य |
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९४-गीतामें आये ‘कृत्वा', 'ज्ञात्वा' और 'मत्वा' पदोंका तात्पर्य |
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९५-गीतामें 'तत्' और 'अस्मत्' पदसे भगवान्का वर्णन |
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९६ - गीतापर विहंगम दृष्टि |
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९७- गीता पाठकी विधियाँ |
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९८-गीतोक्त श्लोकोंके अनुष्ठानकी विधि |
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* उत्तरार्ध *
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९९-गीतामें ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृतिकी अलिङ्गता |
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१००- गीताका अनुबंध चतुष्य |
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१०१-गीताका लिङ्ग |
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१०२- गीता काव्यगत विशेषताएँ |
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१०३-गीतामें अलङ्कार |
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१०४- गीतामें अभिधा आदि शक्तियाँका वर्णन |
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१०५- गीता सम्बन्धी व्याकरणकी कुछ बातें |
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१०६-गीताके छन्द |
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१०७-गीतामें आर्ष-प्रयोग |
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१०८- गीताका परिमाण और पूर्ण शरणागति |
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१०७-गीतामें आर्ष-प्रयोग |
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TEXT ONLY |
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गीतामें आहारिका वर्णन |
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कर्मयोग भौतिक साधन |
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स्वतःसिद्ध तत्त्व |
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गीतामें भगवान् की उदारता |
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गीतामें भगवान् की न्यायकारिता और दयालुता |
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गीतामें भगवान् के विविध रूपोंमें प्रकट होना |
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गीतामें धर्म |
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गीतामें सनातन धर्म |
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गीतामें ज्योतिष |
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गीता और गुरुतत्त्व |
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गीता और वेद |
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गीतामें जातिका वर्णन |
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गीतामें चार आश्रम |
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गीतामें सैनिकोंके लिए शिक्षा |
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गीतामें भगवान् की शक्तियाँ |
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गीतामें विभूतिका वर्णन |
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गीतामें विश्वरूप दर्शन |
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गीतामें सृष्टि रचना |
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गीतामें जीवकी गतियाँ |
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गीतामें मनुष्यों की श्रेणियाँ |
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गीतामें श्रद्धा |
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गीतामें देवताओं की उपासना |
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गीतामें प्राणिमात्र के प्रति हित का भाव |
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गीतामें निश्चय की महिमा |
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गीताका परिमाण और पूर्ण शरणागति
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ATTENTION: Sadhaks with good voices and sentiments of Swamiji are needed to record few key lectures in English – mp3 format about 15-20 minutes, from Vishesh Pravachan or Q&A messages. Please email us at sadhak@swamiramsukhdasji.net if you are able to do this seva.
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